आम में फूल लगने के समय ली जानेवाली सावधानियाँ | Flowering of Mango | Management
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प्रश्न क्र.50 आम में फुल लगने के समय कौनसी बातों का ध्यान रखना जरुरी है?
उत्तर:-
लगभग सभी जगह आम के पेड़ों पर फूल लगने की अवस्था देखि जा रही है| देश के अलग अलग राज्यों में अलग अलग मौसम के कारन फूल आने का समय थोड़ा आगे पीछे हो जाता है लेकिन दिसम्बर जनवरी में बहोत सारे एरिया में आम में फूल आते दिखाई देते है|
बदलता मौसम के साथ किट और रोगों के कारन आम में फूलों का नुकसान बड़े मात्रा में होता हुआ दिखाई दे रहा है| अगर शुरुवाती दिनों से फूल अवस्था में थोड़ा ध्यान रखा जाये तो अच्छे आम के फल किसान को अच्छे मुनाफा कमाकर दे सकते है| तो आज हम जानेंगे की आम में फूल लगने के समय कौनसी बातों का ध्यान रखकर अच्छे फल प्राप्त कर सकते है|
आम में फूलों का देखभाल:-
आम में फूल आने की अवस्था आमतौर पर दिसम्बर के दूसरे सप्ताह से लेकर जनवरी के अंत तक दिखाई देता है लेकिन कुछ वक्त ये दिसम्बर के पहले सप्ताह में भी दिखाई देता है| इन फूलों की अवस्था में जसिड़स, माइट्स, मिज फ्लाई, मिलीबग जैसी किट और ब्लाइट, मिल्ड्यू जैसे रोगों से इन्हे बचाना जरुरी है| प्रकोप बढ़ जाने के बाद उसे नियंत्रण करना मुश्किल होता है इसलिए शुरुवाती दिनों से ही हमें इनका प्रबंधन के लिए ध्यान रखना जरुरी है|
किट का प्रकोप:-
मिज फ्लाई:-
ये काले रंग की छोटी मक्खी होती है, जो नए फूलों के डंठल या युवा डंठल पर अंडे देती है| अण्डों से एक दो दिन बाद इल्ली बाहर आती है, और युवा पत्तियों से साथ ही फूलों के अंदर से पेशियाँ खाती है| जिस जगह पर गांठे बन जाती है, और बाद में काली पड़ जाती है| जिसके कारन नई पत्तियाँ और फूल/बौर भी सुख जाता है| जसिड़स प्रबंधन के लिए की जानेवाली विधियों से भी मिज फ्लाई का प्रकोप कम होता है| किट का प्रकोप दिखाई देता ही डेल्टा मेथ्रीन 2.2 टक्के सिस्टमिक (9 मि.ली.प्रति 10 लीटर पानी) से छिड़काव करे|
मिलीबग:-
हाल की कुछ दिनों से मिलीबग का प्रकोप बागवानी फसलों में बड़ी मात्रा में दिखाई दे रहा है| इस किट के निम्फ और एडल्ट दोनों फूलों और फलों पर प्रकोप करते है| पूरा फल कॉटन में छिपाया जैसे सफ़ेद दिखाई देता है| इस किट का प्रकोप तापमान बढ़ने पर अप्रेल मई में बड़े मात्रा में दिखाई देता है| इस किट के बच्चे पेड़ पर चढने न पाए इसलिए पेड़ के तने पर जमीन से 1 फिट ऊपर की ओर मिट्टी के साथ 30 सेमी प्लास्टिक लगाएं।
फ्रूट फ्लाई:-
फ्रूट फ्लाई फलों के छिलके के अंदर होल करके अंडे देती है| अण्डों से निकली मगोट्स फलों के आदर का पल्प खा जाती है| फलमक्खी का प्रबंधन करना मुश्किल होता है इसलिए पेड़ पर दिख रहे किट के कारन क्षतिग्रस्त फल और जमीं पर गिरे क्षतिग्रस्त फल संग्रहित करके नष्ट करें| साथ ही फलमक्खी प्रबंधन के लिए 10-12 फ्रूट फ्लाई ट्रैप प्रति एकड़ लगाए जिससे मेल का नियंत्रण हो और फलमक्खी का जीवनचक्र टूट जाये|
आम के फूल आने की अवस्था से जसिड़स का प्रकोप दिखाई देता ही है| जसिड़स, मिज फ्लाई के प्रबंधन के लिए इमिडाक्लोप्रीड (17.8 टक्के) सिस्टेमिक 3 मिलि प्रति 10 लीटर पानी के साथ छिड़काव करे|
रोग का प्रकोप:-
डाउनी मिल्ड्यू:-
आम के फूलों पर आनेवाला यह एक महत्वपूर्ण कवकजनित रोग है| इस किट का और जसिड़स इनका प्रकोप बौर पर आमतौर पर एक ही वक्त में दिखाई देता है| इस रोग के कारन बौर के डंठल, फूल और छोटे फलों पर कवक दिखाई देता है| रोग के कारन फूल और छोटे फल गिर जाते है| जिसका परिणाम फल फलों के पक्वता पर दिखाई देता है| इस रोग का फैलाव हवा के कारन होता है| आम में बौर आने की समय में छाए हुए बादल और हवा में आर्द्रता अगर हो तो रोग का फैलाव बड़े मात्रा में होता है| रोग के नियंत्रण के लिए कार्बेंन्डाझिम 46.27 टक्के SC 10 ग्रॅम किवा डिनोकॅप 48 टक्के ईEC 5 मिली किवा हेक्झाकोनॅझोल 5 टक्के ईसी 20 मिली प्रति 10 लिटर से छिड़काव करे|
ब्लाइट:-
इस रोग के कारन पत्तियों पर भूरे धब्बे दिखाई देते है जिसके परिणाम स्वरुप आम के बौर/फूलों पर प्रतिकूल परिणाम दिखाई देता है| फलों के ऊपर दाग दिखाई देते है और उनकी वृद्धि रुकी हुई दिखाई पड़ती है| इस रोग का प्रबंधन करने के लिए आम के बगीचे में सफाई रखनी चाहिए| रोगग्रस्त डालियाँ काटकर निकाल दे और निचे गिरी हुई रोगग्रस्त पत्तियाँ नष्ट कर दें| साथ ही पेड़ों पर 0.25 % कॉपर ऑक्सिक्लोराईड (25 ग्रॅम/10 लीटर पानी) या 1 % बोर्डो पेस्ट का छिड़काव करे|
फल बढ़ाने के उपाय:-
* तीसरे से छठे छिड़काव के दौरान 2 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव करने से फलों का गिरना कम हो जाता है और फलों का आकार बढ़ जाता है।
* फलों कि संख्या बढ़ाने और फलों का गिरना कम करने के लिए NAA 20 पीपीएम इस कवकनाशी के दो छिड़काव फूल आने और फल लगने के समय करने चाहिए।
* यदि संभव हो जब फल मटर के आकार के हो जाएं, तो प्रत्येक पौधे को 3 से 4 बार पानी देने से फल का गिरना कम हो जाएगा और फल का आकार भी बढ़ जाएगा।
* फल लगने के 75 से 80 दिन बाद पडों को पानी न दें।
* फलों को आकर्षक रंग देने तथा उपज बढ़ाने के लिए फल मटर के दाने के समान होने पर पोटैशियम नाइट्रेट (13:0:45) की 1 प्रतिशत के घोल (10 ग्राम पोटैशियम नाइट्रेट प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करना चाहिए।
* बार बार आनेवाला बौर/फूल रोकने के लिए जरुरी बौर आने के बाद जिब्रेलिक एसिड 50 पीपीएम का छिड़काव करे| पहले छिड़काव से 15 दिनों के बाद दूसरा छिड़काव करे|
* अगर जरुरत हो तो डालियों को काट दे|
* साथ ही रोगग्रस्त डालियाँ, सुखी हुई डालियाँ काट दे| ऐसे ही सूरज की किरनों का प्रबंधन और जरुरी हवा बगीचे में खिलती रहने से उत्पादकता और फलों की गुणवत्ता मिलने में मदद होती है|
इन बातों का ध्यान आम के बगीचे में शुरुवाती दिनों से रखना जरुरी है जिससे फूल अवस्था में सभी चीजों का अच्छा प्रबंधन होकर अच्छी उपज किसानों को मिल सकती है|
स्रोत-कृषी वर्ल्ड आणि कृषी जागरन ब्लॉग
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