पौधों को पोटाश पोषक तत्व की जरुरत | Plant Nutrient | Importance of Potash



पौधों की वृद्धि और अच्छे विकास के लिए करीबन 16 पोषक तत्वों की जरुरत होती है| इनमें से कुछ पोषक तत्व हवामान में से प्राकृतिक तरीके से उपलब्ध हो जाते है| मिट्टी में किसी भी पोषक तत्व की कमी हो जाने से पौधों का सही विकास नहीं हो पाता। इसलिये खाद व उर्वरक का उपयोग इस प्रकार से सन्तुलित होना चाहिए ताकि फसल को पर्याप्त मात्रा में सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें। लेकिन बहोत सारे पोषक तत्वों की जरुरत अलग अलग उर्वरकों की मदद से पूरी की जाती है| इनमें सबसे महत्वपूर्ण नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटॉश की जरुरत पौधों को सबसे अधिक और वृद्धि समय पर होती है| 

     पोटॉश एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो फसल की उपज और गुणवत्ता बढ़ाता है जिससे किसान को अच्छी पैदावार मिल सकता है| आज हम देखते है की फसल को पोटॉश पोषक तत्व की जरुरत किस काम के लिए होती है| 


पोटाश एक आवश्यक पोषक तत्व:-

* पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिये पोटाश आवश्यक है।

* पोटाश फसलों को मौसम की प्रतिकूलता जैसे- सूखा, ओला पाला तथा कीड़, रोग आदि से बचाने में मदद करता है।

* पोटाश जड़ों की समुचित वृद्धि करके फसलों को उखड़ने से बचाता है। 

* पोटाश के प्रयोग से पौधों की कोशिका दीवारें मोटी होती है और तने को कोष्ठ की परतों में वृद्धि होती रहती है, जिसके फलस्वरूप फसल के गिरने में रक्षा होती है।

* जिन फसलों को पोटाश की पूरी मात्रा मिलती है उन्हें वांछित उपज देने के लिये अपेक्षाकृत कम पानी की आवश्यकता होती है| 

* इस प्रकाश पोटैशियम के प्रयोग से फसल की जल-उपयोग-क्षमता बेहतर होती है।

* पोटाश फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने वाला सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्व हैं।

* पोटाश भोज्य पदार्थ के संग्रहण और स्थानांतरण को बढ़ाता है| 

* पोटाश पौधों के प्रकाश संश्लेषण के लिए भी जरुरी है| साथ ही पौधों से नाइट्रोजन की उपयोग क्षमता को बढ़ाता है| 


फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने में पोटाश का काम:-

* पोटाश एक ऐसा पोषक तत्व है जो फसलों की गुणवत्ता को बढ़ाता है इसलिए इसे गुणवत्ता क तत्व कहा जाता है।

* पोटाश दाने में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाता है| साथ ही फसलों में विटामिन-सी की मात्रा में वृद्धि करता है।

* फलों व कन्दों के आकार को बढ़ाता है।

* फलों के रंग व सुगन्ध को बढ़ाता है।

* कृषि उत्पादों की भण्डारण व ढुलाई की क्षमता को बढ़ाता है।

* कृषि उत्पादों के जीवन (Shelf Life) को बढ़ाता करता है।


पौधों में पोटाश की कमी के लक्षण:-

* पौधों की वृद्धि एवं विकास में कमी दिखाई देती है।

* पत्तियों का रंग गहरा हो जाता है।

* पुरानी पत्तियों का नोकों या किनारे से पीला पड़ना, बाद में ऊतकों का मरना और पत्तियों का सूखना नजर आता है।

* ऊत्तक भूरे रंग के हो जाते हैं तथा मर जाते हैं।

* इसके बाद, पोटाश की कमी के लक्षण नयी पत्तियों में भी दिखाई देने लग जाते हैं जो कि छोटी व हरी नीली हो जाती है।

* डंठल पतला व भंगुर हो जाता है व परिणामस्वरूप नीचे गिर जाता है।

* पौधे की जड़ कम विकसित होती है और प्राय: सड़ने लगती है।

* रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है।

* फलों का आकार छोटा रह जाता है व रंग भी फीका पड़ जाता है।


पोटाश का प्रयोग:- 

* पोटाश पोषक तत्व अलग अलग रासायनिक उर्वरक के माध्यम से मिटटी में डालकर फसल या पौधों की पोटाश पोषक तत्व की उपलब्धता करके दिया जा सकता है| 

* इसमें पोटाशियम क्लोराइड (एम्.ओ.पी.), पोटाशियम सल्फेट (एस.ओ.पी.), पोटाशियम नाइट्रेट (एन.ओ.पी.) का प्रयोग कर सकते है| 

* पोटाशियम क्लोराइड (एम्.ओ.पी.) में पोटाश की अच्छी मात्रा होती है तो इस उर्वरक का उपयोग सफलता पूर्वक कर सकते है लेकिन जो फसले क्लोराइड को सहन नहीं कर पति है जैसे, तम्बाखू, आलू और कुछ फल के वृक्ष इनके लिए पोटाशियम सल्फेट (एस.ओ.पी.) का प्रयोग कर सकते है| 

* फसल में शुरुवाती दिनों से ही इन पोषक तत्वों का उपयोग करें न की कमी के लक्षण दिखाई देने पर| 

* अगर शुरुवात से ही सभी पोषक तत्व फसल, पौधों के सही मात्रा में मिलते है तो अच्छी फसल की वृद्धि होकर उससे अच्छी उपज मिल सकती है| 

      किसानों को इन बातो का ध्यान रखकर सभी पोषक तत्वों को फसल को शुरुवाती दिनों से ही देना है| अगर ऊपर दिए गए लक्षण फसल में दिखाई देते है तो पोटाश पोषक तत्व उर्वरक के माध्यम से फसल को दिए जा सकते है| 

स्त्रोत-ipipotash.org और hindi.indiawaterportal.org ब्लॉग।


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